MURLI 26-11-23

26-11-23प्रात:मुरलीओम् शान्ति”अव्यक्त-बापदादा”रिवाइज: 31-12-96 मधुबन

नये वर्ष में अनुभवी मूर्त बन सबको अनुभवी बनाओ

(शान्तिवन डायमण्ड जुबली हॉल के उद्घाटन अवसर पर)

आज नज़र से निहाल करने वाले बापदादा आप सभी अति स्नेही, सहयोगी, स्नेह में लवलीन बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चे के मस्तक में, दिल में स्नेह का सबूत दिखाई दे रहा है। (हॉल में पीछे वाले भाई बहिनों से) आप सोचेंगे कि हम पीछे वाले तो दिखाई नहीं देते हैं लेकिन बापदादा के नयनों में ऐसी अनोखी टी.वी. है जिससे दूर की चीज भी सामने दिखाई दे रही है। चाहे कहाँ भी कोने में बैठे हो लेकिन बाप के सामने हो। अभी तो फिर भी आराम से बैठे तो हो ना। (तालियां बजाई) आज बहुत उमंग-उत्साह और खुशी है ना तो तालियों से दिखा रहे हैं। लेकिन बापदादा आपके दिल की खुशी को जानते हैं। बापदादा देख रहे हैं कि हर एक बच्चे को सहयोग का सबूत देने में बहुत खुशी होती है इसलिए हजारों भुजायें दिखाई हैं। तो भुजायें सहयोग की निशानी हैं। बापदादा जानते हैं एक-एक बच्चे ने चारों ओर चाहे देश में, चाहे विदेश में सभी ने चाहे धन से, चाहे मन से, चाहे तन से सहयोग अवश्य दिया है। और आज आप सबके सहयोग का सबूत आप आराम से बैठ देख भी रहे हो, सुन भी रहे हो। अभी ज्यादा ताली नहीं बजाओ। आपके खुशी की, मन की तालियां बापदादा के पास पहुँच गई हैं।

देखो आज दो विशेषतायें हैं। एक इस शान्तिवन को जो सभी ने उमंग-उत्साह से बनाया है उसका बापदादा के साथ-साथ आप बच्चे भी उद्घाटन कर रहे हैं और आज ड्रामानुसार नया वर्ष भी शुरू होने वाला ही है इसलिए बापदादा सभी बच्चों को अपनी दोनों बाहों में समाते हुए दोनों बातों की मुबारक दे रहे हैं। और जैसे अभी इस समय साकार रूप में बाप के साथ उमंग-उत्साह और खुशी में झूम रहे हो ऐसे ही नये वर्ष में सदा सदा अव्यक्त रूप में साथी समझना, अनुभव करना – यह साथ का अनुभव बहुत प्यारा है। बापदादा को भी बच्चों के बिना अच्छा नहीं लगता है। (माइक बंद हो गया) पहला-पहला अनुभव है ना इसलिए यह भी ड्रामा में खेल समझना, कोई भी बात नीचे ऊपर नहीं समझना। अच्छा है और अच्छा ही रहेगा। बहुत अच्छा, बहुत अच्छा करते आप भी अच्छे बन जायेंगे और ड्रामा की हर सीन भी अच्छी बन जायेगी क्योंकि आपके अच्छे बनने के वायब्रेशन कैसी भी सीन हो निगेटिव को पाजिटिव में बदल देगी, इतनी शक्ति आप बच्चों में है सिर्फ यूज़ करो। शक्तियां बहुत हैं, समय पर यूज़ करके देखो तो बहुत अच्छे-अच्छे अनुभव करेंगे।

यह नया हॉल और नया वर्ष तो इसमें क्या करेंगे? नये वर्ष में कुछ नवीनता करेंगे ना। तो यह वर्ष अनुभवी मूर्त बन औरों को भी अनुभव कराने का वर्ष है। समझा – क्या करना है? अनुभव करना है। वाणी द्वारा वर्णन तो करते ही हो लेकिन हर बच्चे को हर शक्ति का, हर गुण का अनुभव करना है। अनुभवी मूर्त हो ना! अनुभवी मूर्त हो या वाणी मूर्त हो? अनुभवी हो भी लेकिन इस वर्ष में कोई भी ऐसा बच्चा नहीं कहे कि मुझे इन बातों का तो अनुभव है, लेकिन इस बात का अनुभव बहुत कम है। ऐसा कोई बच्चा न रहे क्योंकि ज्ञान का अर्थ ही है सिर्फ समझना नहीं लेकिन अनुभव करना और जब तक अनुभव नहीं किया है तो औरों को भी अनुभवी नहीं बना सकते। अगर वाणी तक है, अनुभव तक नहीं है तो जिन आत्माओं की सेवा के निमित्त बनते हो वह भी वाणी द्वारा बहुत अच्छा, बहुत अच्छा, कमाल है – यहाँ तक आते हैं। अनुभवी हो जाएं – वह कोटों में कोई, कोई में भी कोई हैं और प्रत्यक्षता का आधार अनुभव है। अनुभव वाली आत्मायें कभी भी वायुमण्डल वा संग के रंग में नहीं आ सकती हैं। सिर्फ वाणी के प्रभाव वाले कभी नाचेंगे और कभी सोच में पड़ जायेंगे, अनुभव अर्थात् पक्का फाउण्डेशन। आधा अनुभव है तो आधा फाउण्डेशन पक्का है, उसकी निशानी है वह छोटी बड़ी बातों में हिलेगा, अचल नहीं होगा क्योंकि आने वाली बातें वा समस्यायें प्रबल हो जाती हैं, इसलिए अधूरे फाउण्डेशन वाले लड़खड़ाते हैं, गिरते नहीं हैं लेकिन लड़खड़ाते हैं तो पहले इस वर्ष में अपने अनुभवी मूर्त के फाउण्डेशन को पक्का करो। कई बच्चे आज बहुत फास्ट चलते हैं और कल थोड़ा सा चेहरा बदला हुआ होता है, कारण? अनुभव का फाउण्डेशन पक्का नहीं है। अनुभव वाली आत्मायें कितनी भी बड़ी समस्या को ऐसे हल करेंगी जैसे कुछ हुआ ही नहीं। आया और अपना पार्ट बजाया लेकिन साक्षी होकर, न्यारे और प्यारे होकर खेल समान देखेंगे। बात नहीं खेल, मनोरंजन, मनोरंजन अच्छा लगता है ना? तो कोई भी बात हो, आप के लिए बड़ी बात तब लगती है जब फाउण्डेशन जरा भी कच्चा है। चाहे 75 परसेन्ट पक्का है, चाहे 90 परसेन्ट पक्का है तो भी हिलने का चांस सम्भव है। बापदादा को बच्चों की मेहनत अर्थात् युद्ध करना अच्छा नहीं लगता। मेहनत क्यों? युद्ध क्यों? क्या योगी के बजाए योद्धे बनने वाले हो या योगी आत्मायें हो? युद्ध करने वाले संस्कार चन्द्रवंश में ले जायेंगे और योगी तू आत्मा के संस्कार सूर्यवंश में ले जायेंगे। तो क्या बनना है सूर्यवंशी या चन्द्रवंशी बनना है? सूर्यवंशी बनना है तो युद्ध खत्म। इस वर्ष में युद्ध खत्म हुई? इसमें हाँ नहीं कहते हो? कहने से कहते हो? बापदादा तो न देखते हुए भी बच्चों की रिजल्ट देख लेते हैं, हर समय की रिजल्ट नयनों के सामने नहीं लेकिन दिल में आ ही जाती है। यहाँ साकार वतन में जब आप थोड़ा-थोड़ा या बहुत हिलते हो तो बाप को वहाँ वतन में अनुभव होता है कि कोई हिल रहा है इसलिए जैसे शान्तिवन की खुशी है, हॉल की खुशी है, ऐसे बापदादा और इतने बड़े संगठन के बीच यह वायदा करो कि इस वर्ष में हलचल से परे हो अचल-अडोल बनना ही है, बनेंगे नहीं, बनना ही है। ऐसे है? ऐसे जो समझते हैं बनना ही है, सोचेंगे, करेंगे, देखेंगे – यह नहीं, वह हाथ उठाओ। अच्छा – मुबारक हो और जिन्होंने किसी भी कारण से नहीं उठाया, ऐसे नहीं हो सकता कि नहीं बनेंगे लेकिन कोई कारण से नहीं उठाया हो तो वह उठाओ। शर्म आता है उठाने में, तो सोचो जब हाथ उठाने में शर्म आता है तो करने के टाइम भी शर्म करना। सोचना कि यह शर्म करने की बात है, तो नहीं होगी। पक्के हो जायेंगे क्योंकि कई बच्चे बार-बार पूछते हैं, चाहे निमित्त बच्चों से या रूहरिहान में बापदादा से एक ही क्वेश्चन करते हैं, बाबा विनाश की डेट बता दो। सभी का क्वेश्चन है ना? अच्छा बापदादा कहते हैं डेट बता देते हैं – चलो दो हजार में पूरा होगा तो क्या करेंगे? यह कोई डेट नहीं दे रहे हैं, मिसअण्डरस्टैंड नहीं करना। बापदादा पूछ रहे हैं कि समझो 2 हजार तक आपको बताते हैं तो क्या करेंगे? अलबेले बनेगे या तीव्र पुरूषार्थी बनेंगे? तीव्र पुरूषार्थी बनेंगे! और बापदादा कहते हैं कि इस वर्ष में हलचल होगी तो फिर क्या करेंगे? और तीव्र पुरुषार्थ कर लेंगे? या थोड़ा-थोड़ा डेट कॉन्सेस हो जायेंगे, गिनती करते रहेंगे कि इतना समय पूरा हुआ, एक मास पूरा हुआ, एक वर्ष पूरा हुआ, बाकी इतने मास हैं!… तो डेट-कॉन्सेस बनेंगे या सोल-कॉन्सेस बनेंगे? क्या करेंगे? अलबेले नहीं बनेंगे? यह तो नहीं सोचेंगे कि अभी तो 4 वर्ष पड़े हैं? क्या हुआ, लास्ट वर्ष में कर लेंगे – ऐसे अलबेले नहीं बनेंगे या थोड़ा-थोड़ा बन जायेंगे? आप नहीं भी बनेंगे तो माया सुन रही है, वह ऐसी बातें आपके आगे लायेगी जो अलबेलापन, आलस्य बीच-बीच में आयेगा, फिर क्या करेंगे? इसीलिए बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि डेट कॉन्सेस नहीं बनो लेकिन हर समय अन्तिम घड़ी है, इतना हर घड़ी में एवररेडी रहो। अच्छा मानों बापदादा कहते हैं 2 हजार के बाद होगा, चलो आपने मान लिया, रीयल नहीं है लेकिन मान लिया तो आप दो हजार में सम्पूर्ण बनेंगे और दूसरों को कब बनायेंगे? सतयुग में बनायेंगे क्या? बनाने वाले थोड़े हैं और बनने वाले बहुत हैं, उन्हों के लिए भी समय चाहिए या नहीं? अगली सीजन में भी पूछा था कि कम से कम सतयुग आदि के 9 लाख बने हैं? नहीं बने हैं तो विनाश कैसे हो? किस पर राज्य करेंगे? पुरानी आत्माओं के ऊपर राज्य करेंगे? नई आत्मायें तो तैयार हुई नहीं और विनाश हो जाए तो क्या करेंगे? इसलिए बापदादा ने यह काम अपने बच्चे जो ज्योतिषी हैं ना, उन्हों के ऊपर ही रखा है। जो ज्योतिषी कर सकते हैं, वह बाप क्यों करेगा! फिर भी बाप के बच्चे हैं, उन्हों को कमाने दो। उन्हों की कमाई का साधन यही है। अगर किसको बहुत जल्दी हो तो उन बच्चों से पूछो। बाप नहीं बतायेगा।

समझा – इस वर्ष क्या करना है? अनुभवी मूर्त। कई बच्चे रूहरिहान में बहुत ही मीठी-मीठी रूहरिहान करते, कहते हैं – क्या करें बाबा, इतना तो हो गया है, बाकी इतना आप कर लो। राज्य हम करेंगे लेकिन सम्पूर्ण आप बना दो। ऐसे होगा? बाप मददगार जरूर है और अन्त तक रहेंगे, यह गैरन्टी है लेकिन किसके मददगार? जो पहले हिम्मत का पांव आगे करते हैं, फिर बाप मदद का दूसरा पांव उठाने में सम्पूर्ण मदद करते हैं। हिम्मत का पांव उठाओ नहीं और सिर्फ कहो बाबा आप कर लो, बाबा आप कर लो। तो बापदादा भी कहेगा देखेंगे, पहले पांव तो रखो। एक पांव भी नहीं रखेंगे तो कैसे होगा! इसलिए इस वर्ष में हर समय यह चेक करो कि हिम्मत के पांव मजबूत हैं? बाप को कहने के पहले यह चेक करो। हिम्मत का पांव बढ़ाया और मदद नहीं मिले, यह असम्भव है। सिर्फ थोड़ा सा हिम्मत का पांव बढ़ाओ, इसीलिए गाया हुआ है पहला शब्द क्या आता है? हिम्मते बच्चे मददे बाप , इसको उल्टा नहीं करो – मददे बाप और फिर हिम्मत बच्चों की। बाप तो मुस्कराते रहते हैं, वाह मेरे लाडले बच्चे वाह! निश्चय से हिम्मत का पांव जरा भी आगे करेंगे तो बाप पदमगुणा मदद के लिए हर एक बच्चे के लिए हर समय तैयार है।

अच्छा, नये वर्ष में और क्या करेंगे? अभी तक सेवा की एक बात रही हुई है, कौन सी? गीता का भगवान तो हो जायेगा, लेकिन बापदादा ने अगले वर्ष हर ज़ोन को कहा था कि स्नेही, सहयोगी, सम्पर्क वाले तो बहुत बने हैं और बनेंगे लेकिन अभी वारिस निकालो। वारिस कम निकालते हैं क्योंकि बापदादा हर सेवाकेन्द्र की रोज़ की रिजल्ट देखते हैं। तो चारों ओर की रिजल्ट में वारिस कम हैं। स्नेही, सहयोगी अच्छे हैं लेकिन उन्हों को आगे बढ़ाओ या कोई भी नयों को, लास्ट वालों को फास्ट करके वारिस क्वालिटी बाप के सामने लाओ। कोई-कोई निकलते हैं लेकिन गिनती करने वाले हैं। जब चाहते हो कि 2 हजार तक परिवर्तन हो, चाहते तो सभी ऐसे ही हो तो वारिस कितने बनाये हैं? सतयुग की प्रजा भी रॉयल चाहिए। वह कम है। प्रजा बनी है, यह जो अभी अनेक प्रकार की कॉन्फ्रेन्स की है वा बाहर की स्टेज पर जो भी प्रोग्राम्स मिले हैं, इस वर्ष में प्रभाव और प्रजा – यह रिजल्ट अच्छी है। लेकिन बापदादा क्या चाहते हैं? अभी वारिस क्वालिटी तैयार करो। यहाँ वारिस तैयार करेंगे तब एडवान्स पार्टी भी प्रत्यक्ष होगी और बाप के नाम का, प्रत्यक्षता का नगाड़ा चारों ओर बजेगा। अभी तक की रिजल्ट में कहते हैं कि यह भी अच्छा काम कर रहे हैं या कोई-कोई कहते हैं कि यही कर सकते हैं, लेकिन परम आत्मा की तरफ अटेन्शन जाए, परम आत्मा का यह कार्य चल रहा है, वह अभी इनकागनीटो (गुप्त) है। बच्चे अपनी शक्ति से, स्नेह से बाप को प्रत्यक्ष करने का अच्छा पुरुषार्थ कर रहे हैं लेकिन अभी जब तक स्नेही हैं, सहयोगी हैं तब तक बाप की प्रत्यक्षता मैदान पर नहीं आई है। अच्छा है – यहाँ तक हुआ है, लेकिन सबके मुख से यह निकले कि बस अभी समय आ गया, बाप आ गया, तब विनाश भी आयेगा। तो बाप कहते हैं कि बाप से नहीं पूछो कि विनाश कब होगा? बाप आपसे पूछते हैं कि आप कब तैयार होगे? पर्दा खोलें, तैयार हो? कि पर्दा खुलेगा और तैयार होते रहेंगे? कम से कम 16108 पक्के-पक्के रत्न तो प्रत्यक्ष करो, माला तो बनाओ। बाप भी देखे तैयार हैं? इतनी मार्जिन है, ज्यादा नहीं कह रहे हैं। 9 लाख नहीं कह रहे हैं, 16108 की माला बनाओ। तो इस वर्ष बनाना, देखेंगे कि 16108 की निर्विघ्न, अचल माला तैयार है या अभी थोड़ा-थोड़ा लड़खड़ाते हैं? थोड़ा-थोड़ा खेल दिखाते हैं? पाण्डव क्या समझते हो? बोलो, तैयार हो? दादियां तो बोलती हैं – हाँ। सभी शक्तियों की हाँ है? 16108 तैयार हैं? अच्छा 18 तारीख को माला बनाकर देना। हाथ उठवायेंगे तो आधी सभा कहेगी 16 हजार में हैं। जो समझते हैं कि हम 16 हजार में हैं, वो दादियों को अपनी चिटकी लिखकर देना कि मैं 16 हजार में हूँ या 108 में? फिर दादियाँ पास करेंगी। ऐसे नहीं समझना कि चिटकी दे दी है, पहले यह पास करेंगी फिर बापदादा पास करेंगे, फिर फाइनल रिजल्ट बतायेंगे। अच्छा।

चारों ओर के सर्व उमंग-उत्साह से आगे बढ़ने वाले, सदा इकॉनामी के अवतार बन समय, संकल्प, वाणी और कर्म को बचत के खाते में जमा करने वाले, साकार वा आकार रूप में नया वर्ष मनाने वाले सिकीलधे बच्चे, बापदादा देख रहे हैं कि चारों ओर के बच्चे, साकार में नहीं तो आकार रूप में मधुबन में ही हैं और आकार रूप में मना रहे हैं। तो सभी को बापदादा नये वर्ष की, शान्तिवन के स्थापना की मुबारक और यादप्यार दे रहे हैं। सभी सन्तुष्ट मणियों को नमस्ते।

वरदान:-अपने आदि अनादि स्वरूप की स्मृति द्वारा सर्व बन्धनों को समाप्त करने वाले बन्धनमुक्त स्वतंत्र भव
आत्मा का आदि अनादि स्वरूप स्वतंत्र है। मालिक है। यह तो पीछे परतंत्र बनी है इसलिए अपने आदि और अनादि स्वरूप को स्मृति में रख बन्धनमुक्त बनो। मन का भी बंधन न हो। अगर मन का भी बंधन होगा तो वह बंधन और बन्धनों को ले आयेगा। बंधनमुक्त अर्थात् राजा, स्वराज्य अधिकारी। ऐसे बन्धनमुक्त स्वतंत्र आत्मायें ही पास विद आनर बनेंगी अर्थात् फर्स्ट डिवीज़न में आयेंगी।
स्लोगन:-मास्टर दु:ख हर्ता बन दु:ख को भी रूहानी सुख में परिवर्तन करना ही सच्ची सेवा है।