12-06-2023 | प्रात:मुरलीओम् शान्ति“बापदादा”‘ | मधुबन |
मीठे बच्चे – “मोस्ट स्वीटेस्ट बाप इस कडुवी दुनिया को बदल स्वीट बनाते हैं, तुम्हें भी स्वीट बाप और वर्से को याद कर मोस्ट स्वीटेस्ट बनना है” | |
प्रश्नः- | स्वयं को परफेक्ट बनाने की कौन-कौन सी युक्तियां बाप ने सुनाई हैं? |
उत्तर:- | स्वयं को परफेक्ट बनाना है तो ईमानदारी से स्वयं की जांच करो कि 1- मेरे में अभी तक क्या-क्या खामियां हैं? 2- सारे दिन में मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दु:ख तो नहीं देता हूँ? 3- बाप की याद की करेन्ट लेकर भूतों को निकालने का पुरुषार्थ करता हूँ? 4- दूसरों की सर्विस के साथ मैं अपनी भी सर्विस करता हूँ? 5- कितना समय बाप की याद में रह अथाह सुखों का अनुभव करता हूँ? सतोप्रधान कितना बना हूँ? |
ओम् शान्ति। बाप बच्चों से पूछते हैं मीठे बच्चे अपना भविष्य का पुरुषोत्तम मुख देखते हो? पुरुषोत्तम चोला देखते हो? समझ में आता है कि हम भविष्य नई सतयुगी दुनिया में इन (लक्ष्मी नारायण) के वंशावली में जायेंगे अर्थात् सुखधाम में जायेंगे अथवा पुरुषोत्तम बनेंगे! स्टूडेन्ट जब पढ़ते हैं तो बुद्धि में रहता है ना मैं फलाना बनूँगा। तुम भी जानते हो हम विष्णु की डिनायस्टी में जायेंगे क्योंकि विष्णु के दो रूप हैं – लक्ष्मी नारायण। अभी तुम्हारी बुद्धि अलौकिक है, और कोई की बुद्धि में यह बातें रमण नहीं करेंगी। यहाँ तुम जानते हो हम सत बाबा, शिवबाबा के संग में बैठे हैं। ऊंच ते ऊंच बाप हमको पढ़ा रहे हैं। वह है मोस्ट स्वीटेस्ट। उस स्वीटेस्ट बाप को बहुत लव से याद करना है क्योंकि बाप कहते हैं बच्चों मुझे याद करने से तुम ऐसा पुरुषोत्तम बनेंगे और ज्ञान रत्नों को धारण करने से तुम भविष्य 21 जन्मों के लिए पदमपति बनेंगे। बाप जैसे वर देते हैं। वर मिलेगा मीठी-मीठी सजनी को अथवा मीठे-मीठे सपूत बच्चों को। मीठे-मीठे बच्चों को देख बाप खुश होते हैं।
मीठे बच्चे जानते हैं इस नाटक में सभी पार्ट बजा रहे हैं। बेहद का बाप भी इस बेहद के ड्रामा में सम्मुख का पार्ट बजा रहे हैं। स्वीट बाप के तुम स्वीट बच्चों को स्वीटेस्ट बाप सम्मुख नज़र आता है। आत्मा ही इस शरीर के आरगन्स से एक दो को देखती है। तो तुम हो स्वीट चिल्ड्रेन। बाप जानते हैं मैं बच्चों को बहुत स्वीट बनाने आया हूँ। यह लक्ष्मी नारायण मोस्ट स्वीट हैं ना। इन्हों की राजधानी भी स्वीट है, वैसे इनकी प्रजा भी स्वीट है। जब मन्दिर में जाते हैं तो इन्हों को कितना स्वीट देखते हैं। कहाँ मन्दिर खुले तो हम स्वीट देवताओं का दर्शन करें। दर्शन करने वाले समझते हैं यह स्वीट स्वर्ग के मालिक थे। शिव के मन्दिर में भी कितने ढेर मनुष्य जाते हैं क्योंकि वह बहुत स्वीटेस्ट ते स्वीटेस्ट है। उस स्वीटेस्ट शिवबाबा की बहुत महिमा करते हैं। तुम बच्चों को भी मोस्ट स्वीट बनना है। मोस्ट स्वीटेस्ट बाप तुम बच्चों के सम्मुख बैठे हैं क्योंकि इनकागनीटो है। इन जैसा स्वीट और कोई हो नहीं सकता। बाप जैसे स्वीट का पहाड़ है। स्वीट बाप ही आकर कड़ुवी दुनिया को बदल स्वीट बनाते हैं। बच्चे जानते हैं स्वीटेस्ट बाबा हमको मोस्ट स्वीटेस्ट बना रहे हैं। हूबहू आप समान बनाते हैं। जो जैसा होगा वैसा बनायेगा ना। तो ऐसा स्वीटेस्ट बनने के लिए स्वीट बाप को और स्वीट वर्से को याद करना है।
बाबा बार-बार बच्चों को कहते हैं मीठे बच्चे, अपने को अशरीरी समझ मुझे याद करो तो मैं प्रतिज्ञा करता हूँ याद से ही तुम्हारे सब कलह-कलेष मिट जायेंगे। तुम एवर हेल्दी एवर वेल्दी बन जायेंगे। तुम मोस्ट स्वीट बन जायेंगे। आत्मा स्वीट बनेगी तो शरीर भी स्वीट मिलेगा। बच्चों को यह नशा रहना चाहिए मोस्ट बील्वेड बाप के हम बच्चे हैं तो हमको बाबा की श्रीमत पर चलना है। बहुत मीठा-मीठा बाबा हमको बहुत स्वीट बनाते हैं। मोस्ट बील्वेड बाप कहते हैं तुम्हारे मुख से सदैव रत्न निकले। कोई भी कडुवा पत्थर नहीं निकलना चाहिए। जितना स्वीट बनेंगे उतना बाप का नाम बाला करेंगे। तुम बच्चे बाप को फालो करो तो तुमको फिर और सभी फालो करेंगे।
बाप टीचर भी है ना। तो टीचर जरूर बच्चों को शिक्षा देंगे बच्चे, याद का रोज़ अपना चार्ट रखो। जैसे व्यापारी लोग रात को मुरादी सम्भालते हैं ना। तो तुम व्यापारी हो, बाप से कितना बड़ा व्यापार करते हो। जितना बाप को जास्ती याद करेंगे उतना बाप से अथाह सुख पायेंगे। सतोप्रधान बनेंगे। रोज़ अपने अन्दर देखना है, जैसे नारद को कहा ना कि अपनी शक्ल देखो कि मैं लक्ष्मी को वरने लायक हूँ? तुमको भी देखना है हम ऐसा बनने लायक हैं, नहीं तो हमारे में क्या-क्या खामियाँ है? क्योंकि तुम बच्चों को परफेक्ट बनना है। बाप आये ही हैं परफेक्ट बनाने लिए। तो इमानदारी से अपनी जाँच करनी है हमारे में क्या-क्या खामी हैं? जिस कारण समझता हूँ कि ऊंच पद नहीं पा सकूँगा। इन भूतों को भगाने की युक्ति बाप बताते रहते हैं। बाप बैठ सभी आत्माओं को देखते हैं, किसी में खामी देखते हैं तो फिर उनको करेन्ट देते हैं कि इनका यह विघ्न निकल जाये। जितना बाप को मदद कर बाप की महिमा करते रहेंगे तो यह भूत भागते रहेंगे और तुमको बहुत खुशी होगी इसलिए अपनी पूरी जाँच करनी है। सारे दिन में मन्सा, वाचा, कर्मणा दु:ख तो नहीं दिया? साक्षी हो अपनी चलन को देखना है औरों की चलन को भी देख सकते हो परन्तु पहले अपने को देखना है। सिर्फ दूसरे को देखने से अपना भूल जायेंगे। हरेक को अपनी सर्विस करनी है। दूसरों की सर्विस करना माना अपनी सर्विस करना। तुम शिवबाबा की सर्विस नहीं करते हो। शिवबाबा तो सर्विस पर आये हैं ना।
मीठे बच्चे तुम वैल्युबुल हीरे बनते हो। वैल्युबुल हीरे जवाहर जो होते हैं उनको सेफ्टी के लिए हमेशा बैंक में रखते हैं। तुम ब्राह्मण बच्चे भी वैल्युबुल हो, जो शिवबाबा की बैंक में सेफ्टी में बैठे हो। तुम जानते हो दुनिया के सभी मनुष्य मरने वाले हैं। तुम बाबा की सेफ में रहकर अमर बनते हो। तुम काल पर विजय पा रहे हो। शिवबाबा के बने तो सेफ हो गये। बाकी ऊंच पद पाने लिए पुरुषार्थ करना है। दुनिया में मनुष्यों पास कितना भी धन-दौलत है परन्तु वह सभी खत्म हो जाना है। कुछ भी नहीं रहेगा। तुम बच्चों के पास तो अभी कुछ भी नहीं है। यह देह भी नहीं है। यह भी बाप को दे दो। तो जिनके पास कुछ नहीं है उनके पास जैसे कि सब कुछ है। तुमने बेहद के बाप से सौदा किया ही है भविष्य नई दुनिया के लिए। कहते हो बाबा देह सहित यह जो कुछ कखपन है सभी कुछ आपको देते हैं और आप से फिर वहाँ सभी कुछ लेंगे। तो तुम जैसे सेफ हो गये। सभी कुछ बाबा के तिजोरी में सेफ हो गया। तुम बच्चों के अन्दर में कितनी खुशी होनी चाहिए बाकी थोड़ा समय है फिर हम अपनी राजधानी में होंगे। तुमको कोई पूछे, तो बोलो वाह! हम तो बेहद के बाप से बेहद सुख का वर्सा ले रहे हैं। एवरहेल्दी, वेल्दी बनते हैं। हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी हो रही हैं।
बाबा जानते हैं इस समय कोई सम्पूर्ण बना नहीं है। माया के साथ तुम्हारी युद्ध पिछाड़ी तक चलती रहेगी। युद्ध बन्द तब होगी जब महाभारी युद्ध लगेगी, फिर रिजल्ट का पता पड़ेगा। अपने ऊपर बहुत नज़र रखनी पड़ती है। देखना चाहिए मैं मोस्ट बील्वेड बाबा को कितना समय याद करता हूँ? बाबा जानते हैं कई बच्चों को याद करने की भी फुरसत नहीं है। बाप कहते हैं मुझे बहुत प्यार से याद करो, फिर भी याद नहीं करते हैं तो समझेंगे ना फुर्सत नहीं है। माया पूरा समय ले लेती है। बाप को याद करने की फुर्सत नहीं देती है। सारा मदार है याद की यात्रा पर। याद में ही माया विघ्न डालती है। याद भुला देती है इसलिए बाप समझाते हैं मीठे बच्चों देही-अभिमानी बनो। योग की ताकत से ही तुम किसको थोड़ा भी समझायेंगे तो उनको झट तीर लग जायेगा। जिसको तीर लगता है तो एकदम घायल कर देते हैं। पहले घायल होते हैं फिर बाबा के बनते हैं। बाप को प्यार से याद करते हैं तो बाप को भी कशिश होती है। कई तो बिल्कुल ही याद नहीं करते। बाबा को तरस पड़ता है फिर भी कहेंगे बच्चे उन्नति को पाओ। आगे नम्बर में आओ। जितना ऊंच पद पायेंगे उतना नजदीक आयेंगे और अथाह सुख पायेंगे। पतित-पावन तो एक ही बाप है इसलिए एक बाप को याद करना है। सिर्फ एक बाप भी नहीं, साथ-साथ फिर स्वीट होम को भी याद करना है। सिर्फ स्वीटहोम को भी नहीं, माल-मिलकियत भी चाहिए इसलिए स्वर्गधाम को भी याद करना है। पवित्र जरूर बनना है। जितना हो सके बच्चों को अन्तर्मुख रहना है, जास्ती बोलो नहीं, शान्त में रहो। बाप बच्चों को शिक्षा देते हैं मीठे बच्चे अशान्ति नहीं फैलानी है। अपने घर-गृहस्थ में रहते भी बहुत शान्ति में रहो। अन्तर्मुख हो रहो। बहुत मीठा बोलो। कोई को दु:ख न दो, क्रोध न करो। क्रोध का भूत होगा तो याद में रह नहीं सकेंगे। बाप कितना मीठा है, तो बच्चों को भी समझाते हैं बच्चे बहुत-बहुत मीठे बनो, बाहरमुखी मत बनो, अन्तर्मुखी बनो।
जैसे बाप अति लवली आत्मा प्युअर है, ऐसे प्युअर बनना है। बहुत लव से बाप को याद करना है। बाबा आपके सिवाए हमारे सामने दूसरा कोई न आये। बाप जैसा प्यारा कोई है नहीं। हर एक उस एक माशूक के आशिक बनते हैं। तो उस माशुक को बहुत याद करना है। बाबा ने बताया है वह जिस्मानी आशिक-माशुक कोई इकट्ठे नहीं रहते, एक बार देख लिया बस। ऐसे नहीं कि आपस में शादी आदि होती है, नहीं। बाप कहते हैं मीठे बच्चों मामेकम् याद करो तो बेड़ा पार है। जिस मीठे बाप द्वारा हम हीरे जैसा बनते हैं ऐसे बाप के साथ हमारा कितना लव है। बहुत प्रेम से बाप को याद कर अन्दर एकदम ठर जाना चाहिए। (शीतल हो जाना चाहिए) रोमांच खड़े हो जाने चाहिए। जो भी डिफेक्ट्स हैं उनको निकाल प्युअर डायमन्ड बनना है। अगर थोड़ी भी कमी होगी तो वैल्यु कम हो जायेगी। अपने को बहुत वैल्युबुल हीरा बनाना है। बाप की याद भूलनी नहीं चाहिए बल्कि और ही याद सतानी चाहिए। बाबा-बाबा कह एकदम प्यार में समा जाओ।
तुम बच्चों को यह भी निश्चय है कि बेहद के बाप द्वारा हम स्वर्ग के मालिक बन रहे हैं। स्वर्ग के मालिक बनने में खुशी बहुत होती है। तो बाप बैठ बच्चों को देखते हैं, इनमें कौन-कौन से गुण हैं? कौन-कौन से अवगुण है? बच्चे भी जानते हैं इसलिए बाबा कहते हैं अपनी खामियाँ आपेही लिखकर आओ। सम्पूर्ण तो कोई बना नहीं हैं। हाँ बनना है। कल्प-कल्प बने हैं। बाप समझाते हैं खामी मुख्य है सारी देह-अभिमान की। देह-अभिमान बहुत तंग करता है। अवस्था को बढ़ने नहीं देता। इस देह को भी भूलना है। यह पुराना शरीर छोड़ जाना है, दैवीगुण भी यहाँ ही धारण करने है। जाना है तो कोई भी फ्लो नहीं होना चाहिए। तुम हीरे बनते हो ना। क्या-क्या फ्लो है यह तो जानते हो। उस हीरे में भी फ्लो होते हैं परन्तु उनसे फ्लो को (दाग को) निकाल नहीं सकते हैं क्योंकि जड़ है ना। उनको फिर कट करना पड़ता है। तुम तो चैतन्य हीरे हो। तो जो भी फ्लो है उनको एकदम निकाल फ्लोलेस बनना है। अगर फ्लो नहीं निकालेंगे तो वैल्यु कम हो जायेगी। तुम चैतन्य होने कारण फ्लो को निकाल सकते हो।
तुम बच्चे इस अविनाशी पार्ट बजाने में अथक हो, कभी थकते नहीं हो। जानते हो हम अनगिनत बार इस चक्र में आये हैं। कितना वन्डरफुल खेल है। इस वन्डरफुल खेल को समझने से कितना खुशी होती है। उस खेल को देखकर खुश होते हैं मिलता कुछ भी नहीं, इस खेल को समझने से तुम खुश भी होते हो और तुम विश्व के मालिक बनते हो इसलिए बाप रोज़-रोज़ समझाते हैं, मीठे बच्चे देही-अभिमानी बनो। इस शरीर में होते भी समझो यह शरीर हमारा नहीं है, यह तो खत्म हो जाना है। हमको तो बाबा के पास जाना है। देही-अभिमानी बनने से तुम्हारे में कशिश रहेगी। इस पुराने शरीर से ममत्व निकाल देना है। अभी तो 84 जन्म पूरे हुए, अब घर जाना है। बच्चों को सदैव यही याद रहे। टाइम तो बहुत बचता है। 8 घण्टा धंधाधोरी करो, 8 घण्टा आराम, बाकी 8 घण्टा बाप से वार्तालाप, रूहरिहान करो, रूहानी सर्विस करो। माया के भूत अगर अन्दर रहेंगे तो सक्सेस नहीं होंगे। अच्छा!
मीठे मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह सहित जो भी कखपन है वह सब शिवबाबा की बैंक में जमा कर भविष्य के लिए बेहद सुख का वर्सा लेना है।
2) फ्लोलेस हीरा बनने के लिए अन्तर्मुखी बन देह अभिमान की खामी को निकालना है। कभी अशान्त नहीं होना है, अशान्ति नहीं फैलानी है।
वरदान:- | प्राप्तियों की इच्छा से इच्छा मात्रम् अविद्या बन सदा भरपूर रहने वाले निष्काम सेवाधारी भव जो निष्काम सेवाधारी हैं उनके सामने सर्व प्राप्तियां स्वत: आती हैं। लेकिन प्राप्ति आपके आगे भल आये, आप प्राप्तियों को स्वीकार नहीं करो। अगर इच्छा रखी तो सर्व प्राप्तियां होते भी कमी महसूस होगी। सदा अपने को खाली समझेंगे इसलिए इच्छा मात्रम् अविद्या बन सर्व प्राप्तियों से भरपूर रहो। संगमयुग पर बापदादा द्वारा जो भी अविनाशी प्राप्तियां हुई हैं, उन्हीं प्राप्तियों के झूले में सदा झूलते रहो तो कोई भी भूलें नहीं होंगी। |
स्लोगन:- | अपनी अव्यक्त स्थिति से अव्यक्त आनन्द, अव्यक्त स्नेह व अव्यक्त शक्ति प्राप्त कर सकते हो। |