MURLI 07-01-24 | Brahma kumaris” इस नये वर्ष को मुक्ति वर्ष मनाओ, सफल करो सफलता लो”

MURLI 07-01-24

07-01-24प्रात:मुरलीओम् शान्ति”अव्यक्त-बापदादा”रिवाइज: 31-12-97 मधुबन

इस नये वर्ष को मुक्ति वर्ष मनाओ, सफल करो सफलता लो

MURLI 07-01-24 | ” इस नये वर्ष को मुक्ति वर्ष मनाओ, सफल करो सफलता लो”

आज बापदादा अपने नव जीवन की श्रेष्ठ आत्माओं को, नव युग रचता आत्माओं को नये वर्ष की मुबारक दे रहे हैं। दुनिया के लिए नया वर्ष आरम्भ हो रहा है, आप बच्चों के मन में नव युग याद आ रहा है। जैसे नया वर्ष कल आने वाला है, ऐसे नव युग भी कल आने वाला है। ऐसे स्मृति आती है कि हमारा नया युग आया कि आया? जैसे आज नये वर्ष के लिए मनुष्य आत्माओं के दिल में खुशी है, अल्पकाल का उत्साह है, ऐसे आप आत्माओं को नव युग आने की सदाकाल की खुशी है। ऐसे लगता है कि बस आज और कल की बात है। आज पुराना युग है, कल नया युग सामने खड़ा है। ड्रामानुसार आज और कल की बात है, ऐसे स्पष्ट स्मृति अनुभव होती है? या सिर्फ नया वर्ष मनाने आये हो? नया वर्ष नव युग की याद दिलाता है। यह उमंग-उत्साह दिल में रहता है कि कल हम क्या होंगे? अपनी नई शरीर रूपी ड्रेस सामने आती है? याद है आपका नया शरीर नये युग में कैसा सुन्दर था? कैसा युग था, कैसे राज्य था, कैसे प्रकृति दासी थी, सतोप्रधान थी! उस राज्य अधिकारी स्थिति की स्मृति स्पष्ट है? दिखाई दे रही है, वह नई दुनिया कितनी सुन्दर है? एक सेकेण्ड में अपने राज्य अधिकार का अनुभव कर सकते हो या कर रहे हो? बस एक सेकेण्ड में नव युग में चले जाओ। जाना आता है? कितनी बार यह राज्य अधिकार प्राप्त किया है, याद है? अनुभव करो अपना राज्य कितना प्यारा है! न्यारा भी है तो प्यारा भी है। तो सेकेण्ड में बस हमारा राज्य और हमारा विश्व राज्य अधिकारी स्वरूप स्मृति में आ जाए। वे लोग नये वर्ष में एक दो को अल्पकाल की गिफ्ट देते हैं और बाप गिफ्ट देते हैं नव युग के, विश्व राज्य के अधिकार की। यह अविनाशी गिफ्ट इस समय बाप द्वारा आप सबके लिए अटल भावी बन जाती है। जिस भावी को कोई टाल नहीं सकता। अचल है, अखण्ड है। तो ऐसी गिफ्ट मिल गई है ना? तो यह गिफ्ट सम्भाल कर रखना, कोई डाकू यह गिफ्ट ले नहीं जाये। सबके पास डबल लॉक है ना? आजकल सिंगल लॉक नहीं चलता, डबल लॉक चाहिए। गाडरेज का लॉक नहीं, गॉड का लॉक चाहिए। तो गॉड ने ऐसा लॉक दिया है जो कोई भी तोड़ नहीं सकता। अगर अलबेले हो जायेंगे तो डाकू आयेगा। डाकू भी होशियार होते हैं, उन्हों को पता पड़ जाता है कि इनका लॉक आज ढीला है, इसलिए अलबेले नहीं होना।

तो इस नये वर्ष में स्व के प्रति और सेवा के प्रति कोई नया प्लैन बनाया है? कान्फ्रेन्स करनी है, डायलॉग करना है, वह तो है ही। नया प्लैन क्या बनाया है? बापदादा इस नये वर्ष में, देश वा विदेश में वैरायटी वर्ग की विशेष आत्माओं का एक गुलदस्ता देखने चाहते हैं। वर्गों की सेवा तो बहुत की है ना, अभी हर वर्ग का ऐसा एक-एक रत्न तैयार करो, एक भी वर्ग मिस नहीं हो, क्यों? अभी जब समय समीप आ रहा है तो कोई भी वर्ग वाले उल्हना नहीं दें कि हमारा वर्ग रह गया। एक-एक वर्ग में विशेष एक-एक क्वालिटी का हो जो माइक का काम कर सके, क्योंकि जैसे समय समीप आ रहा है तो सर्व वर्ग वाले, सर्व धर्म वाले सबके मुख से एक आवाज निकले कि बाप आ गया, क्योंकि इस संगमयुग में ही सभी धर्म स्थापक आत्माओं वा सर्व वर्ग की आत्माओं में बीज पड़ना है। वह इतनी पावर अपने में ले जायेंगे जो फिर अपने-अपने समय पर वर्ग वा धर्म के इन्वेन्टर बनेंगे। तो सब बीज आपको तैयार करने हैं, जो समय पर अपने-अपने डिपार्टमेंट के निमित्त बनेंगे क्योंकि बीज बाप है और आप ब्राह्मण आत्मायें तना हो, सर्व आत्मायें बीज और तना द्वारा ही निकलते हैं। तो ऐसा गुलदस्ता बाप के सामने लाओ, विदेश वाले भी और देश वाले भी। एक-एक सैम्पुल लाओ, सैम्पुल से अन्य अनेकों स्वत: ही बनते हैं। लेकिन एक-एक पॉवरफुल माइक बनें, ऐसे बीज कहो, धर्म या वर्ग कहो वा वैरायटी फूलों का गुलदस्ता कहो तैयार होना चाहिए। एक भी मिस नहीं हो तब कहा जायेगा विश्व कल्याणकारी वा सर्व आत्माओं के निमित्त उद्धार करने वाली आत्मायें। एक शाखा भी कम नहीं, सर्व शाखायें चाहिए। चाहे आपके नव युग में कई वर्ग नहीं होंगे लेकिन उन आत्माओं में भी द्वापर में या कलियुग में जो इन्वेन्टर निमित्त हैं, उन्हों को शक्ति आप द्वारा ही मिलनी है। जैसे सभी धर्म पितायें आपके आगे बाप का झण्डा, प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने में सहयोगी बनेंगे, वैसे ही सर्व वर्ग वाले भी प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने में सहयोगी बनेंगे, तब कहेंगे सर्व के सहयोग से सुखमय दुनिया की स्थापना। सहयोगी बन रहे हैं लेकिन उनमें से अब विशेष आत्मा को सहयोग में आगे बढ़ाओ, निमित्त बनाओ। निमित्त बनाने का बीज डालो। समझा क्या करना है? विदेश में भी अभी आई.पी. या वी.आई.पी. के कनेक्शन तो सहज हो गये हैं ना। मुश्किल नहीं है ना? मुश्किल है या सहज है? तो आप सभी जब दूसरे न्यु ईयर में फिर आयेंगे तो अगले न्यु ईयर की सौगात बापदादा ऐसा गुलदस्ता देखने चाहते हैं। एक साल है, कम नहीं है। देश वाले भी करेंगे, विदेश वाले भी करेंगे? (हाँ जी) अवश्य करेंगे। कहो हुआ ही पड़ा है। सिर्फ निमित्त बनना है। डबल विदेशी बोलो? सब विदेशी ताली बजाओ। अच्छा, देखेंगे पहले कौन तैयार करता है – देश या विदेश? और कितना बड़ा गुलदस्ता तैयार करते हैं? ठीक है ना? चारों ओर सुन रहे हैं। देश वाले भी सुन रहे हैं, विदेश वाले भी सुन रहे हैं। अभी उमंग आ रहा है, उन्हों के मन में प्लैन बन रहा है यह करेंगे, यह करेंगे। अच्छा, यह तो हुआ विश्व सेवा।

स्व के लिए क्या करेंगे? वह भी तो प्लैन बनेंगा ना? क्योंकि अगर स्व कल्याण का श्रेष्ठ प्लैन नहीं बनायेंगे तो विश्व सेवा में सकाश नहीं मिल सकेगी इसलिए बापदादा सबके दिलों के उमंग-उत्साह को जानते हुए यही कहेंगे कि हर एक उत्सव में बच्चों ने चाहे गोल्डन जुबली वाले, चाहे डायमण्ड जुबली वाले, चाहे सिल्वर जुबली वाले, चाहे और भी जो जुबलियां होनी हैं, सभी ने दिल से, उमंग-उत्साह से अपने मन में यह बाप से वायदा किया है कि हम बाप समान बनकर ही दिखायेंगे। सभी ने यह वायदा किया है ना? डबल फारेनर्स ने वायदा किया है? (सभी ने हाथ हिलाया) अच्छा, मुबारक हो। वायदा तो बहुत मीठा, बहुत अच्छा, बहुत प्यारा, बहुत शक्तिशाली किया है। अभी सिर्फ निभाते रहना। वायदा करने वाले उस समय बहुत उमंग-उत्साह से करते हैं, हिम्मत भी बहुत अच्छी रखते हैं फिर क्या होता? कभी माया चूहे के रूप में आ जाती, कभी बिल्ली के रूप में आ जाती, बिल्ली क्या करती है? म्याऊं-म्याऊं करती है ना। तो बच्चे क्या करते हैं? मैं मैं मैं, तो यह बिल्ली की म्याऊं-म्याऊं नहीं करना। चूहा क्या करता है? चूहा बेसमझ होकर जो आता है वह खा लेता है, काट लेता है। तो माया भी बच्चों के खजानों को काटकर खा लेती है। कभी शेर आ जाता है, शेर क्या करता है? निर्भय वालों को भय पैदा कर देता है। सर्वशक्तिवान बच्चों को दिलशिकस्त बना देता है। ऐसे नहीं करना, आने नहीं देना, डबल लॉक लगाकर ही रखना। इस वर्ष किसी को भी आने नहीं देना।

यह वर्ष सर्व बातों से मुक्त वर्ष मनाओ। मुक्ति वर्ष। जब यह मुक्ति वर्ष मनायेंगे तब मुक्तिधाम में जायेंगे। इसके लिए क्या करेंगे? बहुत छोटी सी बात है, बड़ी बात नहीं है। बापदादा सिर्फ छोटा सा स्लोगन दे रहे हैं “सफल करो सफलता लो”। समझा! सफल करो, सफलता लो। क्या सफल करना है? जो भी आपके पास है, अपनी जो प्रॉपर्टी है ना – समय, संकल्प, श्वांस वा तन-मन-धन सफल करो, व्यर्थ न गँवाओ, न आइवेल के लिए सम्भालकर रखो। संकल्प को भी सफल करो। एक-एक संकल्प – यह आपकी प्रॉपर्टी है। जैसे धन स्थूल प्रॉपर्टी है, वैसे सूक्ष्म प्रॉपर्टी है समय, श्वांस, संकल्प। एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं जाये, सफल हो। चाहे मन्सा सेवा द्वारा, चाहे वाचा द्वारा, चाहे कर्म द्वारा – चेक करो, सफल कितना किया? जमा कितना किया? और बापदादा इस वर्ष यह विशेष वरदान दे रहे हैं – सफल करो और पदमगुणा सफलता का अनुभव करो। यह प्रत्यक्ष फल सहज प्राप्त कर सकते हो, सिर्फ सच्ची दिल से। सच्ची दिल पर भोलानाथ बाप बहुत सहज राज़ी हो जाता है, इसलिए सफल करो। ज्ञान धन, शक्तियों का धन, गुणों का धन हर समय सफल करो। सफल करना आता है वा किनारे करना वा सम्भालने बहुत आता है? किनारे नहीं करो, लगाओ। जब कहते हो कि अचानक सब होना है, एवररेडी बनना है। तो जो भी है उसको सफल करो। बापदादा को नहीं चाहिए, अपने लिए जमा करो। बापदादा तो दाता है लेकिन सफल करना अर्थात् जमा करना क्योंकि बापदादा ने समय प्रमाण जमा का खाता देखा, हर एक बच्चे के जमा का खाता बापदादा के पास है। तो जमा के खाते में क्या देखा? कई बच्चे समझते वा कहते बहुत हैं कि हमारा यह भी जमा है, यह भी जमा है, बाहर से जमा का खाता बहुत वर्णन करते हैं लेकिन बाप के जमा के खाते में जो जितना कहते हैं, समझते हैं उससे बहुत कम जमा है। क्यों? वही पहला पाठ “मैं और मेरा-पन”। मैंने किया, मेरी यह सेवा है, मेरा यह कार्य है। तो जमा करते समय, वह समझते हैं कि जमा कर रहे हैं लेकिन वह ऑटोमेटिक जमा के खाते से निकल, व्यर्थ के खाते में जमा हो जाता है। यह ऑटोमेटिक सूक्ष्म मशीनरी है। बाबा ने कराया, बाबा की सेवा है, मेरी सेवा नहीं है। मैंने किया, नहीं। वर्णन नहीं करो, मैंने यह किया, मैं यह करती हूँ, मैं यह करता हूँ… यह मैं-मैं नहीं। बाबा, बाबा बोलो तो पदमगुणा जमा होगा। और मैं मेरा बोलेंगे तो ट्रांसफर होकर व्यर्थ के खाते में जमा हो जायेगा। यह ऑटोमेटिक मशीनरी बहुत फास्ट है, आप लोगों को पता भी नहीं पड़ता है। इसकी चेकिंग भी बहुत सच्चे दिल से, मैं-पन से न्यारे होकर करने वाले कर सकते हैं। जब आप आदि रत्न आदि में स्थापना में निकले, सेवा में निकले तो क्या भाव रहता था? क्या बोल निकलता था? मैं-पन था? बाबा-बाबा कहा तभी वारिस बाबा के बने, जो आज सेवा के आदि बनें, यह बाबा-बाबा कहने का सबूत है।

अभी बापदादा के पास वारिस क्वालिटी बहुत कम आती हैं, क्यों? बाबा और मैं-पन मिक्स है इसलिए इस वर्ष में बापदादा खुली दिल से वरदान दे रहे हैं -जितना जमा करने चाहो उतना कर लो, कर लो, कर लो। सफल करो सफलता मूर्त बनो। अच्छा।

अभी कौन सा उत्सव मनाया? सिल्वर जुबली। सिल्वर जुबली वाले हाथ उठाओ। जिन्हों की सेरीमनी मनाई वह हाथ उठाओ। डबल सेरीमनी मनाई है। भारत की भी तो विदेश की भी। अच्छा है यह सेरीमनी मनाना अर्थात् अपने आपको पक्की प्रतिज्ञा की स्टैम्प लगाना। सेरीमनी मनाई, बापदादा को भी दृश्य अच्छा लगता है। साथ-साथ जो संकल्प करते हो, उसको ऐसी आलमाइटी गवर्मेन्ट की स्टैम्प लगाओ जो सदा अविनाशी, अटल रहे। मनाना अर्थात् वायदा निभाना। तो ऐसी पक्की स्टैम्प लगाई? या कच्ची स्टैम्प लगाई है? पक्की लगाई? यह सिल्वर जुबली वाले कुमार, हाथ तो अच्छा हिला रहे हैं, पक्की मनाई है? अच्छा है। यह दृश्य भूल नहीं जाना। कभी भी कुछ भी कमजोरी आये तो अपने उत्सव का फोटो सामने लाना। हर एक का फोटो निकालते हैं ना। सबको मिलता है? तो ऐसे फोटो नहीं निकलता है, मतलब से निकलता है। फोटो इसीलिए निकलता है कि जब ऐसा कोई समय आवे तो फोटो सामने रखना, ऐसे नहीं अलमारी में बन्द रख दो जो समय पर भी याद नहीं आवे। यह सबसे बड़ी सौगात है, यह स्मृति दिलाने की निशानी है। अच्छा।

डबल फारेनर्स क्या कमाल करेंगे? डबल फारेनर्स ऐसी कमाल करके दिखाओ जो ऐसी आत्माओं को सन्देश दो जो भारत के लिए माइक बनें, क्योंकि भारत के माइक का भी प्रभाव है लेकिन फारेन के माइक का प्रभाव डबल पड़ेगा। तो डबल फारेनर्स को ऐसे माइक तैयार करने हैं। करेंगे? अगले वर्ष माइक आना चाहिए। ऐसे नहीं सिर्फ भाषण करके चले जायें, नहीं। संबंध में समीप हों। भले ज्ञान, योग में नियमित नहीं बनें लेकिन मानें कि सचमुच यह ईश्वरीय कार्य है और जीवन बनानी ऐसी चाहिए लेकिन मेरे में हिम्मत कम है। उसमें भी कोई हर्जा नहीं, औरों के निमित्त माइक बनते-बनते स्वयं बन ही जायेगा। वैसे सीधा स्टूडेण्ट नहीं बनेंगे लेकिन सेवा के बल से दूसरों के निमित्त बनते, उसके प्रभाव से बन जायेंगे। तो सुना डबल फारेनर्स ने? अभी देखेंगे कौन सा देश निमित्त बनता है। जो भी देश निमित्त बने, फिर उसको अवार्ड देंगे।

सर्व नव युग के विश्व अधिकारी, नव जीवन द्वारा विश्व परिवर्तक आत्माओं को, सदा सफल करने से सफलतामूर्त बनने वाली आत्माओं को, सदा अपने किये हुए वायदों को साकार स्वरूप देने वाले अचल, अखण्ड स्वरूप आत्माओं को, सदा उत्सव में रह औरों को भी उत्सव द्वारा उत्साह दिलाने वाली आत्माओं को, बापदादा का नये वर्ष और नये युग के स्थापना की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। साथ-साथ हिम्मत रख सर्व बच्चे आगे बढ़ने वाले हिम्मते बच्चे और मददे बाप ऐसे सर्व बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

(रात्रि 12 बजे के बाद बापदादा ने सभी बच्चों को पुन: नये वर्ष की बधाई दी)

सर्व विश्व के कोने-कोने में, विश्व के चारों ओर विशेष नव जीवन में रहने वाले सभी को नये वर्ष के साथ-साथ नव युग की भी मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। ब्राह्मण बच्चों के लिए तो हर दिन, हर सेकेण्ड नया है। तो अभी पुराने वर्ष की विदाई है और नये वर्ष को बधाई हो। ऐसे सदा हर सेकेण्ड जो भी संकल्प करो, कर्म करो हर कर्म, संकल्प बधाई वाले हो। जो भी सम्पर्क में आये वह सदा बधाई हो, बधाई हो, यही गीत गाते रहें। इस नये वर्ष में सभी को जो भी मिले वा जो भी साथ में रहते हैं, उन्हों को सदा खुशी की, दिलखुश मिठाई खिलाते रहना और सदा खुशी में मन से नाचते रहना और सेवा में सभी को खुशी का खजाना भर-भरकर बांटते रहना। तो ऐसे नये जीवन, नये उमंग-उत्साह की चारों ओर के बच्चों को नये वर्ष के साथ-साथ मुबारक हो, मुबारक हो। गुडनाईट और गुडमार्निंग। अच्छा। ओम् शान्ति।

वरदान:-दृढ़ निश्चय के आधार पर सदा विजयी बनने वाले ब्रह्मा बाप के स्नेही भव
जो दृढ़ निश्चय रखते हैं, तो निश्चय की विजय कभी टल नहीं सकती। चाहे पांच ही तत्व या आत्मायें कितना भी सामना करें लेकिन वो सामना करेंगे और आप अटल निश्चय के आधार पर समाने की शक्ति से उस सामना को समा लेंगे। कभी निश्चय में हलचल नहीं हो सकती। ऐसे अचल रहने वाले विजयी बच्चे ही बाप के स्नेही हैं। स्नेही बच्चे सदा ब्रह्मा बाप की भुजाओं में समाये रहते हैं।
स्लोगन:-सर्व खजानों की चाबी प्राप्त करनी है तो परमात्म प्यार के अनुभवी बनो।

अव्यक्ति साइलेन्स द्वारा डबल लाइट फरिश्ता स्थिति का अनुभव करो

हर बात में वृत्ति में, दृष्टि में, कर्म में न्यारापन अनुभव हो, यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, प्यारा-प्यारा लगता है। आत्मिक प्यारा। नम्बरवन ब्रह्मा की आत्मा के साथ आप सभी को भी फरिश्ता बन परमाधाम में चलना है, तो मन की एकाग्रता पर अटेन्शन दो, ऑर्डर से मन को चलाओ।